इसी आधार पर उत्परिवर्तनों की कई कोटियाँ बना ली गई हैं, जैसे जीन उत्परिवर्तन, गुणसूत्र उत्परिवर्तन आदि।
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इसी आधार पर उत्परिवर्तनों की कई कोटियाँ बना ली गई हैं, जैसे जीन उत्परिवर्तन, गुणसूत्र उत्परिवर्तन आदि।
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क्योंकि तस्मानियाई डैविलों के पास बहुत ही कम स्तर की आनुवंशिक विविधता तथा मांसाहारी स्तनधारियों में से एक अद्वितीय गुणसूत्र उत्परिवर्तन है, इसलिये वे संक्रामक कैंसर के प्रति ज्यादा प्रवृत्त हैं.
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[123] क्योंकि तस्मानियाई डैविलों के पास बहुत ही कम स्तर की आनुवंशिक विविधता तथा मांसाहारी स्तनधारियों में से एक अद्वितीय गुणसूत्र उत्परिवर्तन है, इसलिये वे संक्रामक कैंसर के प्रति ज्यादा प्रवृत्त हैं.